Suggestions invited for " Development of NTFP, Herbal and Aroma Tourism through Federation in Uttarakhand"
"उत्तराखंड सरकार वन पंचायतो के माध्यम से NTFP हर्बल एवं एरोमा टूरिज्म को बढ़ावा देने हेतु परियोजना"
उक्त ड्राफ्ट पर सुझाव आमत्रित किये जाते है। || Suggestions invited on the following draft.
Project Title: Development of NTFP, Herbal and Aroma Tourism through Federation in Uttarakhand
उत्तराखंड राज्य में 13 जिले हैं, जिसका कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किमी है, जिसमें से 60% से अधिक वनों से ढका हुआ है। ये वन चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों में उपयोग की जाने वाली एमएपी (जड़ी- बूटि एवं सगंध पौधों) की लगभग 1,800 प्रजातियों का घर हैं और इनकी घरेलू और निर्यात मांग भी अधिक है। राज्य के पास इन पौधों के उपयोग से जुड़ा पारंपरिक ज्ञान भी मौजूद है। वन विभाग पारिस्थितिक और टिकाऊ दोहन के दिशानिर्देशों के अनुसार राज्य में लगभग 70% वन क्षेत्र का प्रबंधन करता है। कुछ वन क्षेत्रों का प्रबंधन स्थानीय समुदायों द्वारा वन पंचायतों के माध्यम से भी किया जाता है। वर्तमान में, 12,000 से अधिक वन पंचायतें हैं जो 5,000 वर्ग किमी से अधिक का प्रबंधन कर रही हैं।
वन क्षेत्रों को समेकित और विनियमित करने के उद्देश्य से 20वीं शताब्दी की शुरुआत में वन पंचायतें वन प्रबंधन के लिए एक समुदाय- आधारित दृष्टिकोण के रूप में उभरीं। समूहों ने अपने पारंपरिक अधिकारों की रक्षा करने और सामूहिक रूप से वनों का प्रबंधन करने के लिए खुद को संगठित करना शुरू कर दिया। वे एक लोकतांत्रिक ढांचे के माध्यम से कार्य करते हैं, जिसमें स्थानीय समुदायों के निर्वाचित प्रतिनिधि सदस्य के रूप में कार्य करते हैं।
वन पंचायतें कई क्षेत्रों में सफल रही हैं, जिससे वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है और पारिस्थितिकस्थितियों में सुधार हुआ है। उन्होंने एमएपी (जड़ी- बूटी) संग्रह, पर्यावरण- पर्यटन औरसमुदाय- आधारित उद्यमों जैसी स्थायी वन- आधारित गतिविधियों के माध्यम सेआजीविका के अवसर पैदा करके स्थानीय समुदायों के सामाजिक- आर्थिक विकास में भी योगदान दिया है। इस परियोजना का उद्देश्य वन पंचायतों को एमएपी (जड़ी- बूटी एवं सगंध पौधों ) वृक्षारोपण, हर्बल और सुगंध पर्यटन पार्क और एमएपी मूल्य संवर्धन केंद्रों के विकास और रखरखाव हेतु क्रियाशील करना है। इस कार्य मे निजी निवेशकों , वन विभाग, उद्योग विभाग, आयुष विभाग , हर्बल अनुसंधान और विकास संस्थान (एचआरडीआई), सगंध पौधा केंद्र (सीएपी), उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) और वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) आदि द्वारा भी सहयोग प्रदान किया जायेगा ।
इस परियोजना के माध्यम से उत्तराखंड के 12000 वन पंचायतो से लगभग 5000 हेक्टेयर क्षेत्रफल मे औषधीय और सगंध पौधों का वृक्षारोपण किया जायेगा जिसके माध्यम से स्थानीय ग्रामीणों हेतु आजीविका और आय सृजन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाएगी ।
वन पंचायतो की अंतर्गत 100 छोटी प्रशंसकरण इकाई एवं 11 बड़ी मूल्य संवर्धन हेतु बड़ी प्रसंस्करण इकाई वन पंचायत अथवा निजी भूमि पर स्थापित की जाएँगी। जिनकी वन पंचायत अथवा क्लस्टर स्तर पर एकत्रित कच्चे माल का प्रसंस्करण किया जा सकेगा. वन पंचायतो के उत्पाद को देश एवं विदेश के विभिन उत्पाद निर्माता कंपनी को उपलब्ध कराये जायेंगे। इस परियोजना के अंतर्गत राज्य के 11 जिलों मे वन पंचायतो का क्षमता विकास विकास के कार्य भी किये जाएंगे।
हर्बल एवं सुगंध पर्यटन पार्कों का विकास
हर्बल और सुगंध पर्यटन पार्क राज्य में उगाए जाने वाले एमएपीए (जड़ी- बूटी एवं सगंध पौधों ) की विविधता को प्रदर्शित करने और बढ़ावा देने पर केंद्रित होंगे । ये पार्क आगंतुकों को जड़ी बूटी एवं सगंध खेती, पारंपरिक चिकित्सा, पारंपरिक भोजन और पेय, खुदरा दुकानों, साहसिक खेल आदि से संबंधित शैक्षिक और मनोरंजक अनुभव प्रदान करेंगे। हर्बल और सुगंध पर्यटन पार्क का विकास क्षेत्र में पर्यटन के विकास, संरक्षण में योगदान प्रदान करेगा । यह पार्क स्वदेशी पौधों की प्रजातियों को बढ़ावा , पारंपरिक चिकित्सा और वैकल्पिक उपचारों को बढ़ावा देना और राज्य के समग्र आयुष क्षेत्र को बढ़ावा देने का कार्य करेंगे।
वृक्षारोपण और रखरखाव, पर्यटन, साहसिक पर्यटन, कैफे और रेस्तरां, मूल्य संवर्धन, विपणन, खुदरा श्रृंखला आउटलेट आदि जैसी गतिविधियों में भागीदारी के माध्यम से स्थानीय समुदायों के लिए हजारों नौकरियां पैदा करेगी। चयनित क्षेत्रो मे पर्यटन गतिविधि के बेहतर संचालन हेतु अवस्थापना सुविधाओं का विकास, आवासीय सुविधा , बेहतर सड़क एवम मार्गों का निर्माण होगा।
यह परियोजना राज्य के आर्थिक विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगी और स्थानीय समुदायों की सामाजिक- आर्थिक स्थितियों में सुधार करेगी।
परियोजना अवधि
यह परियोजना वित्त वर्ष 2024 से वित्त वर्ष 2033 तक 10 वर्षों की अवधि के लिए चलेगी,इसे दो चरणों में लागू किया जाएगा।
परियोजना का क्रियान्यवन
इस परियोजना के क्रियान्यवन हेतु एनटीएफपी फेडरेशन का गठन किया जायेगा। जिसके द्वारा परियोजना मे सम्मिलत सभी कार्य जैसे की जड़ी बूटी एवं सगंध पौधों का वृक्षारोपण , HATP की स्थापना, पर्यटन में वृद्धि पर्यावरण जागरूकता और संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा दे सकती है
इस परियोजना के माध्यम उत्तराखंड को औषधीय और सगंध पौधों के संरक्षण, विकास और सतत उपयोग के क्षेत्र मे अग्रिण राज्य की रूप मे स्थापित करने एवं स्थानीय ग्रामीणों हेतु आजीविका और आय सृजन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
प्रस्तावित परियोजना का अंग्रेजी ड्राफ्ट इस आशय से सर्वसाधारण के सूचनार्थ प्रकाशित किया जा रहा है कि इस सम्बन्ध में अपने सुझाव सूचना प्रकाशन होने की तिथि से 15 दिन के अन्दर निम्न पते अथवा ईमेल पर प्रेषित कर सकते हैं।
निदेशक, सगन्ध पौधा केन्द्र (कैप) एवं
सी0ई0ओ0, राज्य औषधीय पादप बोर्ड उत्तराखण्ड सरकार,
इन्डस्ट्रीयल स्टेट, सेलाकुई,
देहरादून।
ई-मेलःThis email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it. ;This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.
फोनः 0135.2698305